Thursday, 20 February 2020

शिवरात्रि







     महादेव हमारे आराध्य त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक है। इनके लीला कथामृत सारी दुनियां में फैली हुई है। पौराणिक, आध्यत्मिक कथा प्रसंग हमारे सामाजिक जीवन को बहुत ही प्रभावित किया है। वो आदि गुरु हैं। योग विद्या के संस्थापक हैं। वेद विद्या के संरक्षक हैं। और सर्वोपरि सृष्टि नियामक हैं। विज्ञान, कला, साहित्य, आदि सभी विषयों में इन की योगदान अकल्पनीय है। 

इन को पूजन करने हेतु वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि का पर्व आता है। जिस दिन हम सभी अपनी सामाजिक व्यवस्था के अनुकूल उपासना करते हैं । पूजा पाठ व्रत यज्ञ आदि भिन्न भिन्न पद्धतियां है जिससे हम इन की उपासना करते हैं। अब हमारी उपासना आध्यात्मिक है । इस हेतु यहाँ इस सम्मन्ध मे चर्चा रखेंगे। 

भगवान शिव जी के सर्वोपरि उपासना अहंग्रह उपासना है।
 शिवो भूत्वा शिवम यजेत। 
अर्थात - शिव होकर शिवजी का उपासना करना चाहिए। 
मनुष्य के पात्रता अनुसार इस वाक्य के कई अर्थ निकलते हैं। जिसकी जैसी स्थिति है वो अपने को उसी अनुसार शिव तत्व में स्थापित करता है। कोई बिभूति लगाकर तो कोई निःसंकल्प होकर।

।ॐ नमः शिवाय । 

   यह मंत्र भगवान शिव जी को उपासना हेतु महामंत्र है। इसके जप, मनन चिंतन आदि अनुष्ठान किया जाता है।

भगवान शिव जी के अनुष्ठान हेतु बीज मंत्र " बं " है। इस के शक्तियां अनेक है। बात व्याधि निवृत्ति हेतु यह अमोघ साधन है। 


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