Tuesday, 9 January 2018

पंचगव्य प्रस्तुति विधि एवं मन्त्र









                         पंचगव्य घटक - अधिक गुणवत्ता वाली पञ्चगव्य की विधि बताया गया है | सर्व सुलभ न होने पर कम से कम देशी प्रजाति गाय के पंचगव्य ही उपयोगी है | ( जर्सी या होलिश्तिन कभी नहीं )|

  •  दूध -  सफ़ेद देशी गाय = १६ भाग
  • गोमय रस - काली देशी गाय = १ भाग 
  • गौमूत्र - कपिला वर्ण देशी गाय  = २ भाग 
  • दही - कोई भी देशी गाय = ४ भाग 
  • घी - कोई भी देशी गाय = ५ भाग  
  • कुशोदक  ( पूजा पाठ में उपयोग होने वाला कुश ( कुशा ) को जल में भिगो कर कुछ घंटे रखें  और बाद में  पानी को आवश्यकता अनुसार उपयोग करें )

मात्रा - स्वस्थ व्यक्ति २५ से १०० मि.ली. एवं रोगों में वैद्यकीय सलाह अनुसार

        पंचगव्य बनाने हेतु गव्य मिलाते समय निम्न मंत्र का पठन करते हेतु मिलाने से पंचगव्य का प्रभाव बढ़ जाता है - 

  • 1. गौमूत्र :- 

गोमूत्रं सर्वशुद्धयर्थं पवित्रं पापशोधनं, 

आपदो हरते नित्यं पात्रे तन्निक्षिपाम्यहं। 



  • 2. गोमय रस 

अग्रमग्रश्चरन्तीनां औषधीनां रसोदभवं, 

तासां वृषभपत्नीनां पात्रे तन्निक्षिपाम्यहं। 



  • 3. गौदुग्ध 

पयः पूण्यतमं प्रोक्तं धेनुभ्यश्च समृद्भवं, 

सर्वशुद्धिकरं दिव्यं पात्रे तन्निक्षिपाम्यहं। 



  • 4. गौ दधि 

चंद्रकुन्दसमं शीतं स्वच्छे वारि विवर्जितं, 

किंचिदाम्लरसाले च क्षियेत् पात्रे तन्निक्षिपाम्यहं। 



  • 5. गौघृत 

इदं घृतं महदिव्यं पवित्रं पापशोधनं, 

सर्वपुष्टिकरं चैव पात्रे तन्निक्षिपाम्यहं। 



  • 6. कुशोदक 

कुशमूले स्थितो ब्रह्मा कुशमध्ये जनार्दन, 

कुशाग्रे शंकरो देवस्तेन युक्तं करोम्यहं। 




     पंचगव्य सेवन करते समय बोलने वाला मंत्र 

यत् त्वगस्थिगतं पापं देहे तिष्ठतिमामके, 

प्राशनात् पंचगव्यस्य दहत्वग्निरिवेन्धनं। 


        हे अग्निदेव ! हमारे शरीर में, हड्डी में जो भी रोग है उन के नाश करने के लिए हम पंचगव्य का पान कर रहे हैं | हमारे मन, बुद्धिके दोष और शारीर के दोषों को हरण करेंगे ..... इस लिए ये पंचगव्य पान कर रहे हैं , ऐसा मन में बोल कर पंचगव्य पान करें 


|# पूज्य बापूजी








दूसरी विधि


 गोमूत्रं गोमय क्षीरं दधि सर्पि कुशोदकम् । पंचचगव्य मिदम् प्रोक्तम्महापातक नाशनम् ॥
--विष्णु धर्म
  • तीन भाग देसी गांय का शकृत (गोबर) का रस ,
  • तीन ही भाग देसी गांय का कच्चा दूध,
  • दो भाग देसी गांय के दूध की दधि,
  •  एक भाग देसी गांय का घृत
  • आधा अंश गौमूत्र 

( इन्हें मिश्रित कर लें विष्णु धर्म में कहा गया है जितना पंचगव्य बनाना हो उसका आधा अंश गौमूत्र का होना चाहिए |
अर्थात उक्त मिश्रण जितनी मात्र में हो उतने ही मात्र में गौमूत्र होना चाहिए,)
  •  शेष कुशाजल होना चाहिए ।)











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