भारतीय संस्कृति एक महान संस्कृति है, इसमें न केवल जन्म से मृत्यु तक बल्कि दिन के प्रारम्भ से लेकर अंत तक की भी, महत्वपूर्ण एवं सुन्दर प्रार्थनाओं का समावेश किया गया है। मैं इनमें से दिन के प्रारम्भ की प्रार्थनों को आपके सम्मुख लेकर आया हूं, इस आशा के साथ कि ये प्रार्थनाएं निश्चित ही आपकी शारीरिक-मानसिक-धार्मिक उन्नति में सहायक होगी।
प्रातःकाल उठतेे ही अपने दोनों हाथों को आपस में रगड़े तत्पश्चात अपने हाथों का दर्शन करते हुए, निम्न श्लोक को दोहरायें-
#कराग्रे_वसते_लक्ष्मीः_करमध्ये_सरस्वती।
#करमूले_तू_गोविन्दः_प्रभाते_करदर्शनम्।।1।।
हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती तथा हाथ के मूल भाग में भगवान नारायण निवास करते हैं। अतः प्रातःकाल अपने हाथों का दर्शन करते हुए अपने दिन को शुभ बनायें।
बिस्तर छोड़ने के बाद धरती पर पैर रखने से पहले निम्न श्लोक को दोहराये-
#समुन्द्रवसने_देवि_पर्वतस्तनमण्डले ।
#विष्णुपत्नि_नमस्तुभ्यंपादस्पर्शं_क्षमस्व_मे।।2 ।।
हे! मातृभूमि! देवता स्वयं विष्णु (पतिरूप में) आपकी रक्षा करते हैं, मैं आपको नमस्कार करता हूं। हे सागर रूपी परिधानों (वस्त्रों) और पर्वत रूपी वक्षस्थल से शोभायमान धरती माता, मैं अपने चरणों से आपका स्पर्श कर रहा हूं, इस के लिए मुझे क्षमा कीजिए।
नवग्रह शांति मंत्र -
#ब्रह्मा_मुरारीस्त्रिपुरांतकारी
#भानुः_शशि_भूमिसुतो_बुधश्च।
#गुरुश्च_शुक्रः_शनिराहुकेतवेः
#कुर्वन्तु_सर्वे_मम_सु_प्रभातम्।।3 ।।
ब्रह्मा, मुरारि (विष्णु) और त्रिपुर-नाशक शिव (अर्थात तीनों देवता) तथा सूर्य, चन्द्रमा, भूमिपुत्र (मंगल), बुध, बृहस्पति, शुक्र्र, शनि, राहु और केतु ये नवग्रह, सभी मेरे प्रभात को शुभ एवं मंगलमय करें।
#सनत्कुमारः_सनकः_सनन्दनः
#सनातनोऽप्यासुरिपिङगलौ_च।
#सप्त_स्वराः_सप्त_रसातलानि
#कुर्वन्तु_सर्वे_मम_सुप्रभातम्।।4 । ।
(ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि) सनतकुमार, सनक, सनन्दन और सनातन तथा (सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य) आसुरि एवं छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करें। साथ ही (नाद-ब्रह्म के विवर्तरूप षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद) ये सातों स्वर और (हमारी पृथ्वी से नीचे स्थित) सातों रसातल (अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल, और पाताल) मेरे लिए सुप्रभात करें।
#सप्तार्णवा_सप्त_कुलाचलाश्च
#सप्तर्षयो_द्वीपवनानि_सप्त।
#भूरादिकृत्वा_भुवनानि_सप्त
#कुर्वन्तु_सर्वे_मम_सुप्रभातम्।।5 । ।
सप्त समुद्र (अर्थात भूमण्डल के लवणाब्धि, इक्षुसागर, सुरार्णव, आज्यसागर, दधिसमुद्र, क्षीरसागर और स्वादुजल रूपी सातों सलिल-तत्व) सप्त पर्वत (महेन्द्र, मलय, सह्याद्रि, शुक्तिमान्, ऋक्षवान, विन्ध्य और पारियात्र), सप्त ऋषि (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, और विश्वामित्र), सातों द्वीप (जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौच, शाक, और पुष्कर), सातों वन (दण्डकारण्य, खण्डकारण्य, चम्पकारण्य, वेदारण्य, नैमिषारण्य, ब्रह्मारण्य और धर्मारण्य), भूलोक आदि सातों भूवन (भूः, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, और सत्य) सभी मेरे प्रभात को मंगलमय करें।
#पृथ्वी_सगन्धा_सरसास्तथापः
#स्पर्शी_च_वायुज्र्वलनं_च_तेजः।
#नभः_सशब्दं_महता_सहैव
#कुर्वन्तु_सर्वे_मम_सुप्रभातम्।।6 ।।
अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण हों।
#प्रातः_स्मरणमेतद्यो_विदित्वादरतः_पठेत्।
#स_सम्यक्धर्मनिष्ठः_स्यात्_अखण्डं_भारतं_स्मरेत्।। 7।।
इन श्लोको का प्रातः स्मरण भली प्रकार से ज्ञान करके आदरपूर्वक पढ़ना चाहिए। ठीक-ठीक धर्म में निष्ठा रखकर अखण्ड भारत का स्मरण करना चाहिए……!!
(नोट्- इस का पुस्तक रूप में विद्याभारती द्वारा संचालित सभी विद्यालयों में उपलब्ध है ||)
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