यह धारा 370 सुनते ही कश्मीर की याद आती है। और इस के साथ जुड़ी हुई कुछ घटनाएँ।
- स्वतंत्र भारत की एक प्रदेश में खुले आम तिरंगा का अपमान
- 6 लाख कश्मीरी पंडित के विस्थापन
- 50हजार मंदिरों में ताला
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रहस्यमय निधन
- दलितों की दयनीय स्थिति
- पुलिस को पत्थर की मार
- रबर की बुलेट
- आतंक वादियों का ठिकाना
धरा ३७० के कारण प्राप्त विशेष अधिकार -
- धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
- इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
- 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
- इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अंतर्गत देश में वित्तीय आपात काल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
- जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे।
वर्तमान स्थिति
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा
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