Thursday, 20 February 2020

छत्रपति शिवाजी

  

छत्रपति शिवाजी

मेरी चौथी कक्षा की में एक प्रसंग छत्रपति शिवाजी और उनके गुरुवर समर्थ रामदास स्वामी की एक कथा प्रसंग आता है कि उन के राज्य में भिखारी नहीं थे। बाद में बड़ी कक्षा में पता चला कि वे एक वीर योद्धा थे जो कि भारत मे मोगल शासकों की छक्के छुड़ा दिए थे इस सम्मन्ध मे अफजल खां का निधन एक रोचक प्रसंग है। और बाद में पता चला कि वे एक वीर गुरु भक्त थे जो अपने गुरुजी के लिए शेरनी की दूध निकाल कर लाए थे। और अब उन के हिन्दवी स्वराज की परिकल्पना, रणनीति में नई छापामार युद्ध की तकनीक का प्रयोग,  स्वदेशी स्वभाषा के प्रति निष्ठा। और सर्वोपरि एक मातृभक्त के रूप में मुझे जानने को और प्रेरणा मिला।
         छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 20 Jan 1627 AD में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। 


  • उनका बचपन उनकी माता जिजाऊ माँ साहेब के मार्गदर्शन में बीता। वह सभी कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी
  • उस समय की मांग के अनुसार तथा सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने के लिए महाराज को 8 विवाह करने पडे़।
  •  शिवाजी महाराज सभी जाति के लोगों को लेकर मावलों (मावळा) नाम देकर सभी को संगठित किया
  • हिन्दवी स्वराज्य की प्रतिष्ठा - सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने
  • उन्होंने शुक्राचार्य तथा कौटिल्य को आदर्श मानकर कूटनीति का सहारा लेना कई बार उचित समझा था।
  • शासकीय उपयोग में आने वाले फारसी शब्दों के लिये उपयुक्त संस्कृत शब्द निर्मित करने का कार्य सौंपा

प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते।
    (अर्थ : जिस प्रकार बाल चन्द्रमा प्रतिपद (धीरे-धीरे) बढ़ता जाता है और सारे विश्व द्वारा वन्दनीय होता है, उसी प्रकार शाहजी के पुत्र शिव की यह मुद्रा भी बढ़ती जाएगी।)




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