स्कन्द
स्कंद कौन हैं ?
मुख, और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है. वे शिव और पार्वती के पुत्र और गणेश के भाई हैं | स्कंद को कुमार और शक्ति भी कहा जाता है. पुराणों के मुताबिक, षष्ठी तिथि को कार्तिकेय का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक, स्कंद षष्ठी के दिन ही कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था | स्कंद षष्ठी का व्रत करने से जीवन से जुड़े बड़े-बड़े शत्रुओं पर जीत मिलती है | यह व्रत निसंतान लोगों के लिए वरदान माना जाता है और इसे करने से जल्द ही संतान सुख मिलता है |
स्कंद को मोर का वाहन माना जाता है. भारत में युद्ध के देवता के रूप में पूजे जाने वाले स्कंद के साथ आमतौर पर एक मोर होता है मोर युवा प्रजनन क्षमता और युद्ध में तेज आक्रामकता से जुड़ा एक पक्षी है. स्कंद को अपने दिव्य वाहन मोर की पूंछ के पंखों पर सवार होकर उनके पीछे एक सजावटी निंबस बनाते हुए बैठे दिखाया जाता है |
कार्तिकेय को स्कंद क्यों कहा जाता है?
भगवान कार्तिकेय को स्कंद इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे एक प्रमुख योद्धा थे जिन्होंने कई राक्षसों का वध किया था | संस्कृत में स्कंद का अर्थ है "छलांग लगाने वाला" या "हमलावर". कार्तिकेय के अन्य नाम हैं - कुमार, सुब्रह्मण्य, और मुरुगन. दक्षिण भारत में उनकी पूजा का अधिक प्रचलन है | कार्तिकेय को चम्पा के फूल पसंद होने के कारण ही स्कंद षष्ठी के अलावा चम्पा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है |
पुराणों के अनुसार, षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था, यही कारण है कि इस दिन इनकी पूजा की जाती है | स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिकेय की जन्म तारकासुर के वध के लिए हुआ था | बताया जाता है कि इस दिन कार्तिकेय भगवान ने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था | शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि स्कन्द षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है |
कार्तिकेय किसका अवतार है?
धर्मग्रंथों के मुताबिक, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय, भगवान शंकर के शुक्र से उत्पन्न हुए थे | कार्तिकेय को युद्ध का देवता माना जाता है और उन्हें शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है | पुराणों में कार्तिकेय को ही देवताओं का प्रधान सेनापति बताया गया है | कार्तिकेय का वाहन मयूर है और एक कथा के मुताबिक, भगवान विष्णु ने उनकी सादक क्षमता को देखकर उन्हें यह वाहन भेंट किया था।
कार्तिकेय के जन्म के विषय में एक और कथा है. इस कथा के मुताबिक, कार्तिकेय का जन्म 6 अप्सराओं के 6 अलग-अलग गर्भों से हुआ था और फिर वे 6 अलग-अलग शरीर एक में ही मिल गए थे. माता पार्वती द्वारा दिए गए एक शाप के कारण ही कार्तिकेय सदैव बालक रूप में रहते हैं.|
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