संसार में दुर्लभ क्या है? हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सम्पूर्ण विवेचन
हिन्दू धर्मग्रंथ बताते हैं कि इस असीम संसार में लाखों वस्तुएँ हैं, पर वास्तव में कुछ ही चीजें अत्यंत “दुर्लभ” हैं। ये दुर्लभ वस्तुएँ भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्तियाँ और अवसर हैं, जो जीवन को मोड़ देने की क्षमता रखते हैं।
1. मनुष्य जन्म — शास्त्रों में सबसे दुर्लभ
भगवत् पुराण (11.9.29):
“मानुषं जन्म दुर्लभम्…”
विवेकचूडामणि:
“दुर्लभं त्रयमेवैतत् — मनुष्यत्वं, मुमुक्षुत्वं, महापुरुषसंश्रयः।”
मनुष्य जन्म इसलिए दुर्लभ है क्योंकि यही एक देह है जिसमें धर्म, विवेक, साधना और आत्मज्ञान संभव है।
2. सत्संग — जीवन का अमूल्य, पर दुर्लभ अवसर
भागवत 3.25.25:
“सत्संगो हि दैवो नृणाम्”
सत्संग मन को शुद्ध करता है, विवेक जगाता है और सही दिशा देता है।
3. संत-महापुरुष — दैवयोग से ही मिलते हैं
भागवत 1.13.10:
“दैवेन नीतः सुभगः स महात्मा”
सच्चे संत और सद्गुरु का सान्निध्य ही जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाता है।
4. भक्ति — सहज दिखती है, पर दुर्लभ
भागवत 11.3.29:
“भक्तिः हि दुर्लभा नृणाम्…”
अहंकार त्यागे बिना भक्ति संभव नहीं — इसलिए दुर्लभ।
5. गुरुकृपा — त्रिदुर्लभ तत्व
भागवत 11.2.29:
“तद्दुर्लभं… गुरोः कृतकृत्यताम्”
गुरुकृपा वह शक्ति है जो साधारण मनुष्य को दिव्य दिशा देती है।
6. आत्मज्ञान — अत्यंत दुर्लभ
कठोपनिषद (1.2.7):
“श्रवणायापि बहुभिर्यो न लभ्यः।”
आत्मज्ञान सुनना भी दुर्लभ है, पाना तो और कठिन।
7. संतोष — महाभारत अनुसार दुर्लभ
महाभारत:
“नास्ति संतोषसमं धनम्।”
संतोष ही सबसे बड़ा धन है, पर यह मनुष्य को विरले ही मिलता है।
निष्कर्ष
शास्त्र बताते हैं कि वास्तविक दुर्लभ वस्तुएँ हैं — मनुष्य जन्म, सत्संग, सद्गुरु, ईश्वरकृपा, भक्ति, ज्ञान और संतोष। इन्हें जिसके जीवन में स्थान मिल जाए, उसका जीवन धन्य हो जाता है।
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