गंगा सप्तमी: मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति का पर्व
गंगा सप्तमी, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, गंगा नदी के अवतरण का उत्सव मनाया जाता है, जिसे पृथ्वी पर जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी माना जाता है।
पौराणिक महत्व:
गंगा नदी के अवतरण को लेकर अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
भागीरथ की तपस्या: गंगा सप्तामी की कथा के अनुसार, राजा सगर ने युद्ध में मारे गए अपने पुत्रों को मोक्ष के लिए कठोर तपस्या कर गंगा को धरती पर अवतरित करवाया था | गंगा नदी का वेग इतना ज्यादा था कि उससे पूरी पृथ्वी का संतुलन बिगड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया था | ऐसे में भगवान शिव ने गंगा नदी का अपने जटाओं में धारण कर लिया और नियंत्रित रूप से धरती पर अवतरित होने दिया |
विष्णु भगवान का स्पर्श: गंगा नदी भगवान विष्णु के चरणों से निकली मानी जाती है। जब भागीरथ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए, तब भगवान विष्णु ने अपने चरणों से स्पर्श करके उन्हें पृथ्वी पर धीमी गति से प्रवाहित किया। //
सात धाराओं में विभाजन: गंगा नदी पृथ्वी पर आते समय सात धाराओं में विभाजित हो गई। इन सात धाराओं को गंगा, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, सरस्वती, यमुना और धूप के नाम से जाना जाता है।
धार्मिक महत्व:
गंगा सप्तमी को अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना, दान-पुण्य करना और पूजा-अर्चना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
पापों का नाश: गंगा स्नान को पापों का नाश करने वाला माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पुण्य लाभ: गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गाय, ब्राह्मण, और गरीबों को दान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
मनोकामना पूर्ति: गंगा सप्तमी के दिन भगवान सूर्य और गंगा माता की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ग्रहों का प्रभाव: गंगा सप्तमी के दिन ग्रहों की स्थिति अत्यंत शुभ होती है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य विशेष रूप से फलदायी होते हैं।
उत्सव का आयोजन:
गंगा सप्तमी का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
गंगा नदी के किनारे: गंगा नदी के किनारे स्थित सभी तीर्थों पर इस दिन विशेष मेला लगता है। श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
घरों में पूजा: जो लोग गंगा नदी तक नहीं जा पाते हैं, वे अपने घरों में ही गंगा माता की पूजा करते हैं। गंगा जल से घर और आसपास का वातावरण शुद्ध करते हैं।
विशेष भोजन: गंगा सप्तमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है।
गंगा सप्तमी, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें गंगा नदी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। गंगा नदी केवल एक नदी नहीं है, अपितु यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
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