Sunday, 12 May 2024

रामानुजाचार्य जयंती


रामानुजाचार्य: वेदांत के अमर योगी
भारतीय दर्शन के इतिहास में रामानुजाचार्य का नाम उन महान आचार्यों में गिना जाता है जिन्होंने वेदांत के विचारों को नया आयाम दिया। उनका जन्म 1017 ईस्वी में तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में हुआ था। उन्होंने विशिष्टाद्वैत वेदांत की स्थापना की, जो अद्वैत वेदांत के अद्वितीय भाव के विपरीत था।

जीवन और शिक्षा

रामानुजाचार्य ने अपने गुरु यादवप्रकाश से वेदांत की शिक्षा प्राप्त की। उनकी शिक्षाओं में भक्ति और ज्ञान का समन्वय था। उन्होंने भगवान विष्णु को परमात्मा माना और उनकी भक्ति को जीवन का सार बताया।

विशिष्टाद्वैत वेदांत

रामानुजाचार्य के अनुसार, ब्रह्म और आत्मा अलग नहीं हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से विशिष्ट हैं। उन्होंने जीव, जगत और ईश्वर के बीच एक अद्वितीय संबंध की व्याख्या की। उनका मानना था कि जीवात्मा और परमात्मा एक दूसरे से अभिन्न हैं, लेकिन फिर भी विशिष्ट हैं।

समाज और धर्म

रामानुजाचार्य ने समाज में वर्ण और जाति के भेदभाव को नकारा और सभी के लिए भगवान की भक्ति का मार्ग खोला। उन्होंने श्रीरंगम मंदिर में सभी वर्गों के लोगों को प्रवेश की अनुमति दी और भक्ति के माध्यम से समाज में समरसता की स्थापना की।



रामानुजाचार्य की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि उनके समय में थीं। उनका जीवन और दर्शन हमें यह सिखाता है कि भक्ति और ज्ञान के माध्यम से ही हम आत्मिक उन्नति कर सकते हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें एकता और समरसता की ओर ले जाती हैं, जो कि आज के विभाजित समाज में बहुत आवश्यक है।

उनके जीवन और दर्शन को याद करते हुए, हम उन्हें नमन करते हैं और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं।

No comments:

Post a Comment