इन को पूजन करने हेतु वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि का पर्व आता है। जिस दिन हम सभी अपनी सामाजिक व्यवस्था के अनुकूल उपासना करते हैं । पूजा पाठ व्रत यज्ञ आदि भिन्न भिन्न पद्धतियां है जिससे हम इन की उपासना करते हैं। अब हमारी उपासना आध्यात्मिक है । इस हेतु यहाँ इस सम्मन्ध मे चर्चा रखेंगे।
भगवान शिव जी के सर्वोपरि उपासना अहंग्रह उपासना है।
शिवो भूत्वा शिवम यजेत।
अर्थात - शिव होकर शिवजी का उपासना करना चाहिए।
मनुष्य के पात्रता अनुसार इस वाक्य के कई अर्थ निकलते हैं। जिसकी जैसी स्थिति है वो अपने को उसी अनुसार शिव तत्व में स्थापित करता है। कोई बिभूति लगाकर तो कोई निःसंकल्प होकर।
।ॐ नमः शिवाय ।
यह मंत्र भगवान शिव जी को उपासना हेतु महामंत्र है। इसके जप, मनन चिंतन आदि अनुष्ठान किया जाता है।
भगवान शिव जी के अनुष्ठान हेतु बीज मंत्र " बं " है। इस के शक्तियां अनेक है। बात व्याधि निवृत्ति हेतु यह अमोघ साधन है।