Monday, 24 July 2023

रोगानुसार गाय के घी के उपयोग

"""""रोगानुसार गाय के घी के उपयोग"""""

१. गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है ।
२. गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है 
३. गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है ।

४. 20-25 ग्राम गाय का घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है । 

५. गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है ।

६. नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है ।

७. गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है 

८. गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है ।

९. गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है ।

१०. हाथ-पॉँव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है ।

११. हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी । 

१२. गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है ।

१३. गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है । 

१४. गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है ।

१५. अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें ।

१६. हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा । 

१७. गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है ।

१८. जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, इससे ह्रदय मज़बूत होता है ।

१९. देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है ।

२०. गाय का घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर या बूरा या देसी खाण्ड, तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें । प्रतिदिन प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है ।

२१. फफोलों पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है ।

२२. गाय के घी की छाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायता मिलती है ।

२३. सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम गाय का घी पिलायें, उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें, जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष भी कम हो जायेगा ।

२४. दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है ।

२५. सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, इससे सिरदर्द दर्द ठीक हो जायेगा ।

२६. यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है । वजन भी नही बढ़ता, बल्कि यह वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है तथा मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है ।

२७. एक चम्मच गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है ।

२८. गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें । इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं । यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है ।

२९. गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए । यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है । 

३०. अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को सन्तुलित करता है ।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस संदेश को पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसे १० लोगों/ग्रुप तक भेज दे तो वह कम से कम एक व्यक्ति का जीवन रोगमुक्त कर सकता
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Sunday, 19 March 2023

Nambi narayan case at a glance

(नंबी नारायणन)

🚩नंबी नारायणन का यह मामला कई दिन अखबारों की सुर्खियों में रहा था, मीडिया ने बिना जांचे-परखे पुलिस की थ्योरी पर भरोसा करते हुए, उन्हें देश का गद्दार मान लिया था ।

🚩गिरफ्तारी के समय नंबी नारायणन रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने के बेहद करीब पहुंच चुके थे ।

इस गिरफ्तारी ने देश के पूरे रॉकेट और क्रायोजेनिक प्रोग्राम को कई दशक पीछे धकेल दिया था ।

उस घटना के करीब 24 साल बाद इस महान वैज्ञानिक को अब जाकर इंसाफ मिला है ।

🚩नंबी नारायणन वैसे तो 1996 में ही आरोपमुक्त हो गए थे, लेकिन उन्होंने अपने सम्मान की लड़ाई जारी रखी और अब 24 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ लगे सारे नेगेटिव रिकॉर्ड को हटाकर उनके सम्मान को दोबारा बहाल करने का आदेश दिया है ।

🚩 चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने केरल सरकार को आदेश दिया है कि नारायणन को उनकी सारी बकाया रकम, मुआवजा और दूसरे लाभ दिए जाएं ।

🚩मुआवजे की यह रकम केरल सरकार देगी और इसकी रिकवरी उन पुलिस अधिकारियों से की जाएगी जिन्होंने उन्हें जासूसी के झूठे मामले में फंसाया, साथ ही सभी सरकारी दस्तावेजों में नंबी नारायणन के खिलाफ दर्ज प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का आदेश दिया गया है ।

🚩सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें हुए नुकसान की भरपाई पैसे से नहीं की जा सकती है, लेकिन नियमों के तहत उन्हें 50 लाख रुपये का भुगतान किया जाए । कोर्ट का आदेश सुनने के लिए 76 साल के नंबी नारायणन खुद कोर्ट में मौजूद थे ।

नंबी नारायण के खिलाफ लगे आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई गई थी और सीबीआई ने 1996 में उन्हें सारे आरोपों से मुक्त कर दिया था I

🚩जांच में यह बात सामने आ गई कि भारत के स्पेस प्रोग्राम को डैमेज करने की नीयत से केरल की तत्कालीन वामपंथी सरकार ने नंबी नारायण को फंसाया था, जिसके कारण

क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी विकसित होने में देरी के चलते हमें अबतक लाखों डॉलर का नुकसान हो चुका है ।

🚩सीबीआई की जांच में ही इस बात के संकेत मिल गए थे कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक अधिकारी के इशारे पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने नंबी को साजिश का शिकार बनाया, एक इतने सीनियर वैज्ञानिक को न सिर्फ गिरफ्तार करके लॉकअप में बंद किया गया, बल्कि उन्हें टॉर्चर किया गया कि वो बाकी वैज्ञानिकों के खिलाफ गवाही दे सकें ।

🚩यह सारी कवायद भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को ध्वस्त करने की नीयत से हो रही थी, ये वो दौर था जब भारत जैसे देश अमेरिका से स्पेस टेक्नोलॉजी करोड़ों रुपये किराये पर लिया करते थे । भारत के आत्मनिर्भर होने से अमेरिका को अपना कारोबारी नुकसान होने का डर था । जिसके लिए सीआईए ने वामपंथी पार्टियों को अपना हथियार बनाया ।

एसआईटी के जिस अधिकारी सीबी मैथ्यूज़ ने नंबी के खिलाफ जांच की थी, उसे कम्युनिस्ट सरकार ने बाद में राज्य का डीजीपी बना दिया, सीबी मैथ्यूज के अलावा तब के एसपी केके जोशुआ और एस विजयन के भी इस साजिश में शामिल होने की बात सामने आ चुकी है ।

🚩1994 की केरल सरकार के अलावा तब केंद्र की  सरकार की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसने इतने बड़े वैज्ञानिक के खिलाफ साजिश पर अांखें बंद कर ली थीं ।

अगर नंबी नारायण के खिलाफ साजिश नहीं हुई होती तो भारत को अपना पहला क्रायोजेनिक इंजन 15 साल पहले मिल गया होता और इसरो आज पूरी दुनिया से पंद्रह वर्ष आगे होता ।

🚩उस दौर में भारत क्रायोजेनिक इंजन को किसी भी हाल में पाना चाहता था । अमेरिका ने इसे देने से साफ इनकार कर दिया । जिसके बाद रूस से समझौता करने की कोशिश हुई, रूस से बातचीत अंतिम चरण में थी, तभी अमेरिका के दबाव में रूस मुकर गया ।

इसके बाद नंबी नारायणन ने सरकार को भरोसा दिलाया कि वो और उनकी टीम देसी क्रायोजेनिक इंजन बनाकर दिखाएंगे ।

उनका ये मिशन सही रास्ते पर चल रहा था कि तब तक वो साजिश के शिकार हो गए नंबी नारायण ने अपने साथ हुई साजिश पर ‘रेडी टु फायर’ नाम से एक किताब भी लिखी है ।

🚩नंबी नारायणन का मानना है कि, इस मामले की साजिश में सीआईए पर शक करने के लिए मजबूत आधार था । क्योंकि क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी विकसित करने के लिए रूस के साथ समझौते के भारत के कदम से अमेरिका परेशान था । दरअसल भारत ने 1991 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ग्लेवकॉसमॉस से सात क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन और उनके साथ प्रौद्योगिकी के पूर्ण हस्तांतरण का करार किया था, लेकिन अमेरिका ने इसरो और ग्लेवकॉसमॉस पर प्रतिबंध लगाकर उस समझौते को नाकाम कर दिया था ।

🚩नंबी नारायणन के मुताबिक, ‘अगर यह समझौता परवान चढ़ गया होता, तो इसरो 15 साल पहले क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी विकसित कर सकता था, लेकिन भारत में क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी विकसित होने में हुई देरी से अमेरिका और फ्रांस को फायदा हुआ । इन दोनों देशों ने अपने कम विकसित टेक्नोलॉजी वाले क्रायोजेनिक इंजनों को भारत को बेचने की कोशिश की थी । दोनों ही देशों का हाथ इसरो जासूसी कांड में शामिल हो सकता है, इस सच्चाई को खोजने के लिए विस्तृत जांच जरूरी है ।’

🚩नंबी नारायणन ने कहा कि, ‘देश हित के लिए यह जरूरी है कि, झूठे केस की साजिश रचने वाले का पता लगाया जाए । साथ ही इस बात की भी पड़ताल की जाए कि उनका उद्देश्य क्या था । क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी विकसित होने में देरी के चलते हमें अबतक लाखों डॉलर का नुकसान हो चुका है ।’

🚩नंबी नारायणन का कहना है कि उनकी प्राथमिकता मुआवजा पाना नहीं थी । हालांकि उन्होंने माना कि बेकसूर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने और उसे बर्बाद करने वाले अफसरों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए, ताकि जांच और खुफिया एजेंसियों में बेलगाम होकर काम करने वाले लोगों को सबक मिले ।

🚩नंबी नारायणन ने आगे कहा, ‘पुलिसवालों को लगता है कि वह कुछ भी कर सकते हैं, किसी को भी ठिकाने लगा सकते हैं । उनका यह रवैया बदलना चाहिए । मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लॉ एनफोर्समेंट मशीनरी (कानून प्रवर्तन संस्थानों) की मानसिकता को बदलने में मदद मिलेगी ।’

🚩पाठकों को यह लेख पढ़कर समझ में आया होगा कि जो भी व्यक्ति देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं, दुनिया में भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं, उनको कैसे षड्यंत्र करके फंसाया जाता है और उनका पूरा केरियर खराब कर दिया जाता है यह एक उदाहरण रूप में प्रस्तुत है ।

🚩हिंदुस्तानियों को जागरूक होना पड़ेगा, आज भी राष्ट्रहित करने वाले हिन्दू साधु-संत और हस्तियां जेल में हैं । उनके खिलाफ भी मीडिया ने ऐसा माहौल बनाया है कि जैसे यही अपराधी हैं और उनको जेल में सड़ाया जा रहा है । जबतक वे निर्दोष छूटकर आएंगे तबतक काफी समय बीत गया होगा और देश को आगे बढ़ाने में जो समय जाना चाहिए था उसमे रुकावट आ जाएगी । अतः इन षड्यंत्र का विरोध अभी से होना चाहिए ।