Thursday, 22 March 2018

गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी









1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं ।
2. गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है ।
3. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।
4. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है ।
5. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है ।
6. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते ।
7. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है ।
8. गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है ।
9. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है ।
10. गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है ।
11. गाय इस धरती पर साक्षात देवता है ।
12. गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है । मनोकामना पूर्ण करने वाली है ।
13. गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है ।
14. गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है ।
15. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है । उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है ।
16. गौ माता का दूध अमृत है ।
17. गौ माता धर्म की धुरी है ।
गौ माता के बिना धर्म कि कल्पना नहीं की जा सकती ।
18. गौ माता जगत जननी है ।
19. गौ माता पृथ्वी का रूप है ।
20. गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है । गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधुरी है ।
21. एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।
22. गौ माता से ही मनुष्यों के गौत्र की स्थापना हुई है ।
23. गौ माता चौदह रत्नों में एक रत्न है ।
24. गौ माता साक्षात् मां भवानी का रूप है ।
25. गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते हैं ।
26. गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।
27. गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है । उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती ।
28. तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है । वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है ।
28. गौ माता के गोबर से ईंधन तैयार होता है ।
29. गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यों की आराध्य है; इष्ट देव है ।
30. साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है ।
31. गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है ।
32. गौ माता में दिव्य शक्तियां होने से संसार का संतुलन बना रहता है ।
33. गाय माता के गौवंशो से भूमि को जोत कर की गई खेती सर्वश्रेष्ट खेती होती है ।
34. गौ माता जीवन भर दुध पिलाने वाली माता है । गौ माता को जननी से भी उच्चा दर्जा दिया गया है ।
35. जहां गौ माता निवास करती है वह स्थान तीर्थ धाम बन जाता है ।
36. गौ माता कि सेवा परिक्रमा करने से सभी तीर्थो के पुण्यों का लाभ मिलता है ।
37. जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है ।
38. गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।
39. गाय माता आनंदपूर्वक सासें लेती है; छोडती है । वहां से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिससे वातावरण शुद्ध होता है ।
40. गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे ।
41. गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं ।
42. जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है ।
43. स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं ।
44. गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है ।
45. गाय इस संसार का प्राण है ।
46. काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है ।
47. गाय धार्मिक ; आर्थिक ; सांस्कृतिक व अध्यात्मिक दृष्टि से सर्वगुण संपन्न है ।
48. गाय एक चलता फिरता मंदिर है । हमारे सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी देवता है । हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं ।
49. कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो बार बार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गौ माता के कान में कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा ।
50. जो व्यक्ति मोक्ष गौ लोक धाम चाहता हो उसे गौ व्रती बनना चाहिए ।
51. गौ माता सर्व सुखों की दातार है ।
हे मां आप अनंत ! आपके गुण अनंत ! इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके गुणों का बखान कर सकूं ।
जय गौ माता की




ref; >>a whatsapp collection







Wednesday, 21 March 2018

सफलता के मंत्र





                         


   
           ऋषि-आश्रम में शिष्यों के बीच चर्चा छिड़ गयी कि ‘अर्जुन के बल से कर्ण में बल ज्यादा था । बुद्धि भी कम नहीं थी । दानवीर भी बड़ा भारी था फिर भी कर्ण हार गया और अर्जुन जीत गये, इसमें क्या कारण था ?’ कोई निर्णय पर नहीं पहुँच रहे थे, आखिर गुरुदेव के पास गये : ‘‘गुरुजी ! कर्ण की जीत होनी चाहिए थी लेकिन अर्जुन की जीत हुई । इसका तात्त्विक रहस्य क्या होगा ?’’
           गुरुदेव बड़ी ऊँची कमाई के धनी थे । आत्मा-परमात्मा के साथ उनका सीधा संबंध था । वे बोले : ‘‘व्यवस्था तो यह बताती है कि एक तरफ नन्हा प्रह्लाद है और दूसरी तरफ युद्ध में, राजनीति में कुशल हिरण्यकशिपु है; हिरण्यकशिपु की विजय होनी चाहिए और प्रह्लाद मरना चाहिए परंतु हिरण्यकशिपु मारा गया ।
प्रह्लाद की बूआ होलिका को वरदान था कि अग्नि नहीं जलायेगी । उसने षड्यंत्र किया और हिरण्यकशिपु से कहा कि ‘‘तुम्हारे बेटे को लेकर मैं चिता पर बैठ जाऊँगी तो वह जल जायेगा और मैं ज्यों-की-त्यों रहूँगी ।’’ व्यवस्था तो यह बताती है कि प्रह्लाद को जल जाना चाहिए परंतु इतिहास साक्षी है, होली का त्यौहार खबर देता है कि परमात्मा के भक्त के पक्ष में अग्नि देवता ने अपना निर्णय बदला, प्रह्लाद जीवित निकला और होलिका जल गयी ।
रावण के पास धनबल, सत्ताबल, कपटबल, रूप बदलने का बल, न जाने कितने-कितने बल थे और लात मारकर निकाल दिया विभीषण को । लेकिन इतिहास साक्षी है कि सब बलों की ऐसी-तैसी हो गयी और विभीषण की विजय हुई ।
          इसका रहस्य है कि कर्ण के पास बल तो बहुत था लेकिन नारायण का बल नहीं था, नर का बल था । हिरण्यकशिपु व रावण के पास नरत्व का बल था लेकिन प्रह्लाद और विभीषण के पास भगवद्बल था, नर और नारायण का बल था । ऐसे ही अर्जुन नर हैं, अपने नर-बल को भूलकर संन्यास लेना चाहते थे लेकिन भगवान ने कहा : ‘‘तू अभी युद्ध के लिए आया है, क्षत्रियत्व तेरा स्वभाव है । तू अपने स्वाभाविक कर्म को छोड़कर संन्यास नहीं ले बल्कि अब नारायण के बल का उपयोग करके, नर ! तू सात्त्विक बल से विजयी हो जा !’’
तो बेटा ! अर्जुन की विजय में नर के साथ नारायण के बल का सहयोग है इसलिए अर्जुन जीत
गया ।’’
          कई बुद्धिजीवियों में बुद्धि तो बहुत होती है, धन भी बहुत होता है, सत्ता की तिकड़मबाजी भी बहुत होती है, फिर भी अकेला नर-बल होने से उनका संतोषकारक जीवन नहीं मिलेगा, बिल्कुल पक्की बात है ।
जिस नर के जीवन में परमात्मा की कृपा का, परमात्मा के सामर्थ्य, ज्ञान और माधुर्य का योग है वह नर सन्तुष्टः सततं योगी... अपने जीवन से, अपने अनुभवों से, अपनी उपलब्धियों से सतत संतुष्ट रहेगा । भोगी सतत संतुष्ट नहीं रह सकता ।


                यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।...  (गीता : 18.78)


           जहाँ पुरुषार्थ करनेवाला जीव होता है और ईश्वर की कृपा होती है, वहाँ श्री, विजय, विभूति और अचल नीति होती है । अब जो नर जितना उस योगेश्वर का आश्रय लेकर निर्णय करेगा, वह उतना विजयी रहेगा ।
किसीके लिए मन में द्वेष न हो तो समझो नारायण का निवास है । किसीका बुरा नहीं सोचते हैं, फिर भी कोई गड़बड़ करता है तो अनुशासन के लिए किसीको बोल देते हैं लेकिन आपके हृदय में द्वेष नहीं है, सबके लिए हित की भावना है तो आप सबमें बसे नारायण के साथ जी रहे हो ।




*      *      *      *      *       *      *      *      *




This article is shared through Rishi Prasad App To read more articles download app now: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.tabbar

Tuesday, 20 March 2018

विद्यार्थी जीवन मे सफलता की कुंजी










             स्वामी रामतीर्थ जब प्राध्यापक थे तब उन्होंने एक प्रयोग किया और बाद में निष्कर्षरूप में बताया कि ‘जो विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में या परीक्षा से कुछ दिन पहले विषय-विकारों में फँस जाते हैं, वे परीक्षा में प्रायः असफल हो जाते हैं, चाहे वर्ष भर उन्होंने अपनी कक्षा में अच्छे अंक क्यों न पाये हों । जिन विद्यार्थियों का चित्त परीक्षा के दिनों में एकाग्र और शुद्ध रहा करता है, वे ही सफल होते हैं ।’

             ऐसे ही ब्रिटेन की विश्वविख्यात ‘कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी’ के कॉलेजों में किये गये सर्वेक्षण के निष्कर्ष असंयमी विद्यार्थियों को सावधानी का इशारा देनेवाले हैं । इनके अनुसार जिन कॉलेजों के विद्यार्थी अत्यधिक कुदृष्टि के शिकार होकर असंयमी जीवन जीते थे, उनके परीक्षा-परिणाम खराब पाये गये तथा जिन कॉलेजों में विद्यार्थी तुलनात्मक दृष्टि से संयमी थे उनके परीक्षा-परिणाम बेहतर स्तर के पाये गये ।

               काम-विकार को रोकना वस्तुतः बड़ा दुःसाध्य है । यही कारण है कि मनु महाराज ने यहाँ तक कह दिया है : ‘माँ, बहन और पुत्री के साथ भी व्यक्ति को एकांत में नहीं बैठना चाहिए क्योंकि मनुष्य की इन्द्रियाँ बहुत बलवान होती हैं । वे विद्वानों के मन को भी समान रूप से अपने वेग में खींच ले जाती हैं ।’



*. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *. *




This article is shared through Rishi Prasad App To read more articles download app now: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.tabbar